उड़ना चाहूँ आसमान में
पाँव पड़ी जंजीर
जो चाहूँ वो न पाऊँ
यह कैसी मिली तकदीर
रहे अधूरे सपने
देखे जो मेरी चाहतों ने
भाग्यविधाता क्यों लिख दी
मेरे भाग्य में पीर
थी यही तमन्ना
जीवन में कुछ करने की
सपनों पर अपने
पड़ती रही धूल ही धूल
फूलों की चाहत में
मिले हमें शूल ही शूल
लेकिन
आई दिल से आवाज़
न छोड़ना कभी आस
अधूरे सपनें होंगे पूरे
न हो तुम अधीर
छू लोगे तुम
आसमां इक दिन
पंख मिलेंगे ख़्वाबों को
गर खुद पर हो विश्वास
अवश्य होगे कामयाब
बस जीवन में
धीरज रखना सीख
रेखा जोशी
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment