अपनी अपनी बोल रहे होकर सब बेहाल
आओ मिलकर हम सभी बदले वतन का हाल
बन आग टूट पड़े करें बरबाद दुश्मन को
है काफी इक चिंगारी जलाने को मशाल
रेखा जोशी
आओ मिलकर हम सभी बदले वतन का हाल
बन आग टूट पड़े करें बरबाद दुश्मन को
है काफी इक चिंगारी जलाने को मशाल
रेखा जोशी
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