Wednesday 12 October 2016

हे राम आओ संहार रावण का करने

सदियों पहले
रावण को मारा राम ने
वह तो जिंदाहो रहा
 बार बार मर के
कभी  पकड़ता निर्भया
कभी गुड़िया
रावण ने डाले 
है जगह जगह पर डेरे
है रूप अनेक
बदल  शोषण  कर रहा
फेंकता तेज़ाब कभी
इज्ज़त  हर रहा
चीख रही सीता
आंसू भर नैनो में 
हे राम आओ 
संहार रावण का करने

रेखा जोशी 

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