Thursday, 13 October 2016

गुजर जाता है दिन तो मगर शाम को सजन

सुबह शाम हम तुमको याद किया करते है
तेरे ही सपनों में हम खोये रहते है
गुजर जाता है दिन तो मगर शाम को सजन
संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते है
रेखा जोशी

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