खिल ही जाते हैं फूल
सूखी चाहे हो धरा
अजब है प्रकृति की माया
हैं रँग इसके निराले
विषम प्रस्थितियों में भी
जीवंत हो उठता है जीवन
हो जाता है फूटाव पौधों का
चीर के सीना
कड़ी से कड़ी चट्टानों का भी
अंत महकेगा सफर जीवन का
संघर्ष है जीवन हमारा
सिखलाती प्रकृति हमें
संघर्ष से ही खिलेगा
हर लम्हा जीवन का
रेखा जोशी
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