Sunday, 22 April 2018

टिक टिक टिक टिक (बाल कविता)


टिक टिक टिक टिक
चलती जाती घड़ी

सुबह सुबह
घड़ी की टिक टिक
हमें जगाती
उठने का नहीं करता मन
क्या करें
है वक्त हुआ
स्कूल जाने का
अनुशासन हमें सिखाती
टिक टिक टिक टिक
चलती जाती घड़ी

घड़ी की सुईयों से
बंधी ज़िन्दगी
हर काम समय पर
करना सिखलाती
टिक टिक टिक टिक
चलती जाती घड़ी

रेखा जोशी

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