लहर पर लहर आती रही,
तुम्हारी हसीन यादें लिए।
देती रही ये दर्द दिल को ,
मगर तुम्ही न आये वहां ।
कुछ तो बोलो हमदम मेरे,
तुम न जाने कहाँ खो गए ।
चुपके से लिख जाते तुम ,
कोई गजल ख़्वाबों में मेरे ।
मचलती लहरों का संगीत ,
समुंद्र की तरंगों पर गीत ।
इन तन्हाइयों में चुपके से ,
चांदनी रात समुंद्र किनारे ।
मुस्कराती हुई वह झलक ,
काफी थी दीदारे यार की ।
मेरे महबूब थी क्या खता ,
जो रुसवा हुई चाहतें मेरी ।
साथ होते जो तुम यादों में ,
आज कुछ और बात होती ।
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