जलने लगे चिराग तो रोशन हुआ जहान
तम हुआ दूर बुद्धि में प्रकाशित हुआ ज्ञान
,
बुद्धि हो जब प्रज्ज्वलित ज्ञान के दीपक से
सरल हुए रास्ते चाहे वह हों अंजान
,
रात कितनी भी अँधेरी टिक नहीं पाये
दिवाकर आने से चमक उठे आसमान
,
जीवन में हो अँधेरा ज्ञान की ज्योति जला
तिमिर भगा उजाला कर जन जन का कल्याण
,
सत्य के दीपक से जगमगा उठा कण कण
सत्य के आगे नतमस्तक हुआ भगवान
रेखा जोशी
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