मेरी नन्ही
प्यारी गुड़िया
भोली सूरत मासूम चेहरा
आँखों में चमक लिए
निहारती रहती
वोह चेहरा मेरा
जिज्ञासा से भरे
उसके नयन
खोजते रहते
है न जाने क्या
मोह लेती निश्छल हसी
जब मुस्कुराती वो नन्ही परी
नन्ही नन्ही
उँगलियों से जब
छूती प्यार से चेहरे को मेरे
भर देती तन मन में मेरे
इक नई उमंग इक नई तरंग
कभी खींच लेती
आँचल मेरा
कभी सो जाती
काँधे पे मेरे
इस जिंदगी की शाम में
उसने आगमन
किया नव भोर का
रेखा जोशी
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