बाल गीत
आई है बिटिया अँगना में मेरे
घर की दीवारें लगी है महकने
…
देखती हूँ मै जब नन्ही परी को
बचपन झूमें फिर नैनों में मेरे
पापा की प्यारी मम्मी की दुलारी
लौटा के लाई वो पल छिन प्यारे
..
वो चोटी लहराये पहन के साड़ी
चहके मटके वो अँगना में खेले
माँ के दुपट्टे से खुद को सजाये
सुबह और शाम वह सबको नचाये
…
भरी दोपहर वो अँगना में छुपना
गुडिया के संग वो घर घर खेलना
चहकने लगा है घर आँगन मेरा
मधुर हंसी से जब वो खिलखिलाये
…
आई है बिटिया अँगना में मेरे
घर की दीवारें लगी है महकने
रेखा जोशी
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