Sunday, 15 April 2018

बाल गीत

आई  है   बिटिया  अँगना  में  मेरे
घर   की  दीवारें  लगी  है  महकने

देखती  हूँ   मै  जब नन्ही परी  को  
बचपन   झूमें  फिर   नैनों   में  मेरे
पापा  की प्यारी  मम्मी  की दुलारी
लौटा  के लाई  वो पल छिन  प्यारे
..
वो  चोटी  लहराये   पहन के साड़ी
चहके  मटके  वो  अँगना   में खेले
माँ  के  दुपट्टे  से  खुद  को  सजाये
सुबह और शाम वह सबको नचाये

भरी  दोपहर  वो अँगना  में  छुपना
गुडिया के संग वो  घर  घर  खेलना
चहकने  लगा  है  घर   आँगन  मेरा
मधुर हंसी से जब वो  खिलखिलाये

आई   है   बिटिया  अँगना  में   मेरे
घर   की  दीवारें   लगी  है  महकने

रेखा जोशी 

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