Saturday, 23 November 2013

महंगाई [हास्य व्यंग ]


जब सुबह सुबह 
गर्मागर्म 
प्रेमपूर्वक
चाय का प्याला 
हमारी
प्यारी श्रीमती जी ने 
हमारे
हाथ में जब थमाया 
हमने भी उनका
हाथ पकड़ प्रेम से
पास बिठाया 
झटक कर हाथ
श्रीमती जी ने उसमे
बड़ा सा झोला पकड़ाया 
कड़कती
आवाज़ में उन्होंने 
सब्ज़ी लाने का
आदेश फरमाया 
सस्ती  घास फूस ले आना 
टमाटर आलू को न हाथ लगाना 
प्याज का तो
सोचना भी मत
इसने
हमे खूब  रुलाया 
महंगाई का
क्या करें जनाब 
इससे
हमारा बजट
गड़बड़ाया 
इससे हमारा
बजट गड़बड़ाया 

रेखा जोशी 

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