खेल रहे है मिलजुल कर इस बगिया में
नन्हे मुन्ने फूल मेरे आंगन के
मस्त मस्त झूल रहें डाली डाली पे
हर्षित हो रहा है मन देख कर उन्हें
भाग रहे उड़ती तितलियों को पकड़ने
फूलों के संग संग कभी मुस्कुराते
मेरे घर आंगन में खेलते बच्चे
चम्पा चमेली गुलाब सा महका रहे
रेखा जोशी
नन्हे मुन्ने फूल मेरे आंगन के
मस्त मस्त झूल रहें डाली डाली पे
हर्षित हो रहा है मन देख कर उन्हें
भाग रहे उड़ती तितलियों को पकड़ने
फूलों के संग संग कभी मुस्कुराते
मेरे घर आंगन में खेलते बच्चे
चम्पा चमेली गुलाब सा महका रहे
रेखा जोशी
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