Friday, 14 June 2013

मुक्तक

हाथ जोड़ अपनी असमर्थता को जब अर्जुन ने जतलाया था 
कुरुक्षेत्र की रणभूमि मेंश्रीकृष्ण ने विराट रूप दिखलाया था 
तेजोमय असंख्य चाँद ,सितारे चमक रहे थे अनेक सूरज 
पार्थ ने भगवन के आगे श्रधा से मस्तक अपना झुकाया था 

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