Tuesday 11 March 2014

गरीबी [लघु कथा ]


आंध्रप्रदेश में एक छोटा सा गाँव अनंतपुर ,गरीबी रेखा के नीचे रहते कई किसान भाई ,जिनका जीवन सदा लहलहाती फसलों के इर्द गिर्द ही घूमता रहता है ,वहां आज कई घरों में चूल्हा ही नही जला , सवेरे से ही रधिया और उसकी छोटी बहन रमिया ने अपने आप को पीछे की छोटी कोठरी में बंद कर रखा हुआ है tघीसू की पत्नी गुलाबो का तो रो रो कर बुरा हाल हो गया ,''क्या इसी दिन के लिए अपनी  बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया था ,चंद नोटों के बदले अपने ही जिस्म के टुकड़े को बेचने के लिए ,नही नही वह ऐसा  अनर्थ नही होने देगी ,उधर घीसू के दिल का हाल शायद ही कोई समझ पाता, पत्थर बना बुत  ,घर के बाहर एक टूटी चारपाई पर निर्जीव  पड़ा हुआ था ,लेकिन उसके भीतर  ज़ोरदार तूफ़ान ,एक ऐसी सुनामी आ चुकी थी जिसमें उसे अपना  घर बाहर सब कुछ बहता दिखाई दे रहा था''काश कोई रधिया को मुझ से बचा ले ,''फूट फूट कर रो उठ घीसू  लेकिन रधिया  गरीबी की सूली पर चढ़ चुकी थी ' |'' तभी शहर से आई एक लम्बी सी गाड़ी घीसू के घर के सामने आ कर रुक गई और घीसू ने अपने घर की अधखिली कली, रधिया को गाड़ी में बिठा कर,उसे किसी अंधी गली में भटकने के लिए ,सदा सदा के लिए विदा कर दिया |

रेखा जोशी 

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