सफर नीर का
पर्वत से सागर तक
याँ फिर
सागर से पर्वत तक
चलता जा रहा
निरंतर
रुकता नही
बस केवल
भ्रम है
समाना
नीर का
सागर में
ज़िंदगी भी
रूकती नही
चलती सदा
मृत्यु
के बाद भी
है ज़िंदगी
बदलता
केवल स्वरूप
उसका
रेखा जोशी
पर्वत से सागर तक
याँ फिर
सागर से पर्वत तक
चलता जा रहा
निरंतर
रुकता नही
बस केवल
भ्रम है
समाना
नीर का
सागर में
ज़िंदगी भी
रूकती नही
चलती सदा
मृत्यु
के बाद भी
है ज़िंदगी
बदलता
केवल स्वरूप
उसका
रेखा जोशी
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