महिला दिवस पर उन महिलाओं के नाम जो हम जैसी कई महिलाओं के अनगिनत घरेलू काम संभालती है
पाजेब
की
छम छम
सुनते ही
ख़ुशी की
इक लहर
दौड़ने
लगती है
मन में
मिलता है
सकून
उसके
आने की
आहट से
कैसे
लिख पाती
मै कुछ
अगर
वह न आती
आज
मुस्कुराती हुई
उस
साँवली सलोनी
के घर में
घुसते
खिल उठा
मेरा मन
क्यों न
धन्यवाद
करें उनका
जो
बुहारती हमारा
घर आंगन
हमारे हाथों
का काम
करती
वह
तभी
निकल पाते
हम
बाहर घर से
वह
और कोई नही
है वह
मेरे
घर की
बाई
रेखा जोशी
पाजेब
की
छम छम
सुनते ही
ख़ुशी की
इक लहर
दौड़ने
लगती है
मन में
मिलता है
सकून
उसके
आने की
आहट से
कैसे
लिख पाती
मै कुछ
अगर
वह न आती
आज
मुस्कुराती हुई
उस
साँवली सलोनी
के घर में
घुसते
खिल उठा
मेरा मन
क्यों न
धन्यवाद
करें उनका
जो
बुहारती हमारा
घर आंगन
हमारे हाथों
का काम
करती
वह
तभी
निकल पाते
हम
बाहर घर से
वह
और कोई नही
है वह
मेरे
घर की
बाई
रेखा जोशी
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