वीर (आल्हा) छंद
जागो माँ के वीर सपूतो ,डूब रहा है भारत आज ।
इसे लूटते तेरे भाई , क्यों न गिरायें उन पर गाज ||
इसे लूटते तेरे भाई , क्यों न गिरायें उन पर गाज ||
धधक रही लालच की ज्वाला ,पनप रहा है भ्रष्टाचार।
नोच खा रहे कपूत माँ के ,बंद करो ये अत्याचार ॥
नोच खा रहे कपूत माँ के ,बंद करो ये अत्याचार ॥
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment