Wednesday, 30 July 2014

जा रहा तोड़ सभी रिश्ते नाते मोह माया के


ढल गया दिन अन्धेरा शाम का बढ़ा जा रहा है
रात के आगोश में सूरज  अब  छुपा जा रहा है
जा  रहा  तोड़ सभी  रिश्ते  नाते  मोह माया के
बंधन मुक्त वह  राही  अकेला  चला जा रहा है

रेखा जोशी 

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