Thursday, 31 July 2014

खत्म सब कुछ हो जायेगा जब न रहेगी ज़िंदगी

गीतिका

अधूरी चाहतें अधूरे ख़्वाब  अधूरी  ज़िंदगी
इंतज़ार है  न जाने  कब होगी पूरी ज़िंदगी

डोल रही देख मंझधार में यह कश्ती  हमारी
गिरा दिये तुमने  हाथों से पतवार भी  ज़िंदगी

थक गये  नैन मेरे यहाँ राह तकते तुम्हारा
बेचैन आँखों को है  इंतज़ार अब भी ज़िंदगी

राह ज़िंदगी की मुश्किल होंगी इस कदर हमारी
सोचा न था यह हमने  ख़्वाब में भी कभी ज़िंदगी

उखड़ रही यहाँ साँसे  भी लम्हा लम्हा हमारी
खत्म सब कुछ हो जायेगा जब न रहेगी ज़िंदगी

रेखा जोशी





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