सुरमई रात
पेड़ों के पत्तों से
छन कर
गुनगुनाती हुई
गीत मधुर गाती
खिलखिलाने लगी
चांदनी
आहट सुनते ही
उसकी
बिछ गये मखमली फूल
राहों में
पाते ही कोमल
स्पर्श उनका
मुस्कुराने लगी
चांदनी
लबों पर मेरे
मचलने लगे तराने
उड़ने लगी तितलियाँ
दिल की बगिया में
छा गई बहारे
फ़िज़ाओं में
अंगना में मेरे
फिर से
महकने लगी
चांदनी
रेखा जोशी
पेड़ों के पत्तों से
छन कर
गुनगुनाती हुई
गीत मधुर गाती
खिलखिलाने लगी
चांदनी
आहट सुनते ही
उसकी
बिछ गये मखमली फूल
राहों में
पाते ही कोमल
स्पर्श उनका
मुस्कुराने लगी
चांदनी
लबों पर मेरे
मचलने लगे तराने
उड़ने लगी तितलियाँ
दिल की बगिया में
छा गई बहारे
फ़िज़ाओं में
अंगना में मेरे
फिर से
महकने लगी
चांदनी
रेखा जोशी
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