क्या यही हमारे सपनों का है देश भारत
पूछ रही आ स्वप्न में मुझसे माँ भारती
,
घूम रही गली गली लिये तिरंगा हाथ मे
स्नेह भरे नैनों में वोह मूरत ममतामयी
,
है पूत अपने ही नोच खा रहे उसे आज
घौटालों की जंजीरों में दी जकड़ी गई
,
लाल बहादुर ,गांधी से बेटे अब है कहाँ
आँसू भर आंखों में पूछ शहीदों से रही
,
भूल प्यार जाने क्यों भाई भाई लड़ रहे
देख लड़ते अपने बच्चों को वोह थी दुखी
रेखा जोशी
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