निर्मल
चंचल चितवन कंचन तन नही छल कपट निर्मल मन कोई नही तुम सा यहाँ भाये अब यह भोलापन ,,
मलिन गले लगाती दीन हीन पाप सब कर लेती लीन पाप धो कर पापियों ने गंगा को कर दिया मलिन
रेखा जोशी
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