छन्द- चामर
मापनी - 21 21 21 21 21 21 21 2
मीत आज ज़िन्दगी हमें रही पुकार है
रूप देख ज़िन्दगी खिली यहाँ बहार है
,
पास पास हम रहें मिले ख़ुशी हमें सदा
छा रहा गज़ब यहाँ खुमार ही खुमार है
छोड़ना न हाथ साथ साथ हम चले सदा
प्रीत रीत जान ज़िन्दगी यहाँ हमार है
,
मिल गया जहाँ हमें मिले हमें सजन यहाँ
पा लिया पिया यहाँ करार ही करार है
,
दूर हम वहाँ चलें मिले जहाँ धरा गगन
प्यार से पुकार लो मिला हमे सँसार है
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment