रचती रही माँ माटी से अपनों के लिये सपने घड़ती रही कहानियाँ घट वह घडते घडते रचयिता थी वह बच्चों की कच्ची माटी से बच्चे सँवारनी थी ज़िन्दगी उनकी है बसे घट घट में बच्चों के सपने रंग बिरंगे
रेखा जोशी
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