Wednesday, 19 April 2017

रचयिता


रचती रही माँ माटी से
अपनों   के लिये  सपने
घड़ती  रही कहानियाँ
घट वह  घडते घडते
रचयिता थी वह बच्चों की
कच्ची  माटी से बच्चे
सँवारनी थी ज़िन्दगी उनकी
है बसे   घट घट में
बच्चों के सपने रंग बिरंगे

रेखा जोशी


No comments:

Post a Comment