अजब सा माहौल
था वोह
दुश्मनों का खौफ
था ओफ
दोस्त भी बन रहे
थे दुश्मन
चमक रहे थे ख़ंजर
तलवारे
था फैल रहा धुआं धुआं
जहर से भरा भरा
शांति दूत
बन आया धरा पर
अहिंसा का पुजारी
जहर से जैसे वो
अमृत निकाल देता है
हर जन को गले लगा कर
प्रीत का पाठ
पढ़ाता वोह
था देवदूत राष्ट्रपिता
वोह
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सबको अपना बनाता
वोह
ईश्वर अल्लाहके नाम
पैगाम पहुंचाता
वोह
नमन करें उस महात्मा को
प्रेम पथ पर चलना
सिखाया जिसने
रेखा जोशी
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