करते हम प्यार उनको दुश्मन है ज़माना
ढूंढते रहते नित मिलने का है बहाना
ऐसा नही कि उन से मोहब्बत नही रही
मोहब्बत में अब रूठना या है मनाना
,
चलते रहेंगे साथ साथ हम सदा यूँही
प्यार किया उनसे तो यह रिश्ता है निभाना
,
है चाहते हम उनको जी जान से अपनी
हो जाये कुछ भी उन्हें अपना है बनाना
,
करना न कभी भी हमारे दिल से दिल्लगी
तुमसे ही ज़िन्दगी कोई ना है फ़साना
रेखा जोशी
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