शांत गहरे सागर रहते झर झर झर झरने छलकते , ज्ञानी मौन यहां पर रहें पोंगे पण्डित ज्ञान देवें , थोथा चना बाजे घना गुणगान करे अपना यहां , कुहू कुहूक कोयल गाए राग गाता कागा जाए , आधा अधूरा ज्ञान लिए गुणों का अपने गान करे
रेखा जोशी
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