Saturday 5 August 2017

सच्चाई की राह

एकांकी

""सच्चाई की राह"

कलाकार
पहला,दूसरा(सूत्रधार) मसखरे
सत्यम एक आदमी
प्रेरणा  सत्यम की पत्नी

स्टेज पर दो मसखरों का प्रवेश

पहला, जब मैं छोटा बच्चा था
दूसरा,झूठ बोल कर बड़ी शरारत करता था,मेरा झूठ पकड़ा जाता और  माँ से डांट खाता था,मुझे समझाने के  लिए मां नई नई कहानियां सुनाया करती थी।
पहला, अच्छा,मुझे भी सुनाओ न कहानी
दूसरा ,हां  एक कहानी याद आई,एक गांव में एक लड़का रहता था  , वह हर रोज़ सुबह सुबह भेड़ बकरियां चराने जंगल जाया करता था।
पहला ,फिर क्या हुआ
दूसरा , एक दिन उस शरारत सूझी
पहला ,अच्छा ,फिर क्या हुआ
दूसरा , वह झूठ मूठ ही जोर जोर से चिल्लाने लगा
पहला (हैरानी से)चिल्लाने लगा
दूसरा , हां चिल्लाने लगा "शेर आया,शेर आया बचाओ बचाओ"
पहला, क्या  शेर आया (हैरानी से)
दूसरा, अरे ,इसमें हैरान होने  की क्या बात है,सचमुच में थोड़ा कोई शेर आया था, वह तो झूठ बोल कर गांव वालों को डरा रहा था।
पहला, ओह,फिर क्या हुआ
दूसरा, फिर गांव  वाले लाठियां ले कर  भागे भागे उसे बचाने जंगल  आए
पहला अच्छा ,फिर क्या हुआ
दूसरा ,हा हा हा ,वह जोर जोर से हंसने लगा,,और ताली  पीट पीट कर गाने लगा"बुद्धू बनाया बड़ा मज़ा आया,बुद्धू बनाया बड़ा मज़ा आया"
पहला ओह यह तो उसने अच्छा नहीं किया
दूसरा, हां , बिलकुल अच्छा नहीं किया, पता फिर एक दिन वहां सचमुच शेर आ गया और वह डर गया ,जोर जोर से चिल्लाया,बचाओ शेर आया शेर आया
पहला,तब तो गांव वाले फिर से उसे बचाने के लिए  भागे
भागे जंगल में आए होंगे
दूसरा,नहीं ,सभी ने यही सोचा कि वह झूठ बोल रहा है और कोई भी उस बचाने जंगल की ओर नहीं गया
पहला , ओओ ह,फिर क्या हुआ
दूसरा ,फिर क्या ,शेर उसे मार कर खा गया
पहला ,ओह ,झूठ बोलने के कारण बेचारे को अपनी जान से हाथ धोने पड़े
दूसरा,यह तो  बहुत ही बुरा हुआ उसके  साथ, अगर उसने झूठ न बोला होता तो गांव वाले उसे शेर से बचा लेते ।

स्टेज पर सत्यम और उसकी पत्नी प्रेरणा का प्रवेशके

प्रेरणा ,अजय मुझे तुम पर गर्व है क़ि मै तुम्हारी पत्नी हूँ,तुम्हारा तो नाम ही  सत्यम है जो सदा  सच का साथ देता है

सत्यम , हां प्रेरणा मेरी ज़िंदगी संघर्ष की एक लंबी दास्ताँ है,बचपन क्या होता है मैंने देखा ही नही ,पांच वर्ष की आयु में सर से बाप का साया उठ गया ,गरीबी क्या होती है मुझ से पूछो

प्रेरणा ,लेकिन आज तो तुम्हारे पास सब कुछ है

सत्यम,हां आज मेरे पास सब कुछ है ,
लेकिन इस सब के पीछे  मेरी मां है  जिसने मुझे बचपन से ही सदा सच्चाई की कहानियां सुना कर उसका महत्व बताया ।
प्रेरणा, सही कहा मां ही अपने बच्चो को सच्चाई का पाठ पढा सकती है।
सत्यम , आज यहां तक पहुंचने के लिए मैने इक लम्बा  रास्ता तय किया है ,गाँव की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों से मीलों दूर स्कूल का रास्ता,स्कूल से कालेज और कॉलेज से यूनिवर्सिटी का रास्ता,बच्चों को ट्यूशन देना ,घर का खर्चा  ,विधवा माँ की देखभाल और छोटे भाई की पढ़ाई का खर्चा और सबसे उपर सच्चाई की राह पर चलते रहना।

प्रेरणा, जानती हूँ तुमने कभी सच का साथ नहीं छोड़ा ,ज़िन्दगी में अपने को टूटने नही दिया ,झूठ का दामन पकड़ कर पैसा नहीं कमाया।

पहला हां, हिम्मते मर्दे मददे खुदा
दूसरा ,भगवान उनकी मदद करते है जो अपनी मदद खुद करते है
पहला ,जीवन एक चुनौती है
दूसरा चुनौती का स्वागत करो
पहला ,जीवन एक संघर्ष है
दूसरा संघर्ष का स्वागत करो
पहला ,सच्चाई की राह पर बढ़ते चलो
दूसरा, सच्चाई की राह पर बढ़ते चलो

रेखा जोशी

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