Friday, 4 August 2017

आती ज़िन्दगी में भी धूप छांव


समय की बहती धारा से बंधी
यही तो है हम सभी की ज़िन्दगी
,
सुख दुख दो किनारे बहती धारा
खुशी गम जीवन में आना जाना
,
खिलतेे यहां कांटो में भी गुलाब
आती ज़िन्दगी में   भी धूप छांव
,
पल पल जुड़ी सांसों की डोर यहां
गर आज है जीवन कल मौत यहां
,
रचाया  प्रभु ने कैसा यहां खेला
आवन जावन  का लगाया मेला

रेखा जोशी

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