विधाता छंद
1222. 1222. 1222. 1222
बहारें ज़िन्दगी में प्यार ले कर आप आयें हैं
कलम से खींच सपने आज काग़ज़ पर सजायें हैं
,
निगाहों में हमें तेरी दिखा है प्यार ही साजन
मिले जो तुम हमें तो फूल अंगना में खिलायें हैं
,
कहेंगे बात दिल की अब निगाहों ही निगाहों से
सजन अब बात दिल की हम यहां तुमको सुनायें हैं
,
खुशी अपनी पिया कैसे बतायें आज हम तुमको
पिया हम संग दिल में प्यार भर कर आज लायें हैं
,
हवाएं भी यहां पर आज हमको छेड़ती साजन
कहे जोशी नज़ारों से पिया दिल में समायें है
रेखा जोशी
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