Sunday 20 August 2017

रिश्ते

देखे दुनिया कीभीड़ में
हमने
बिखरते रिश्ते
जीवन की भाग दौड़ में
सिसकते रिश्ते
छूटते रिश्ते

भाषा प्रेम की
कोई नहीं जानता
देखे
पत्थरों के शहर में
टूटते रिश्ते

रिश्ते रिश्ते
है देखे हमने
बनते बिगड़ते रिश्ते
छल फरेब
ईर्ष्या द्वेष से नहीं
प्यार और मुहब्बत से
हैं जुड़ते
और
संवरते रिश्ते

रेखा जोशी 

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