देखे दुनिया कीभीड़ में
हमने
बिखरते रिश्ते
जीवन की भाग दौड़ में
सिसकते रिश्ते
छूटते रिश्ते
भाषा प्रेम की
कोई नहीं जानता
देखे
पत्थरों के शहर में
टूटते रिश्ते
रिश्ते रिश्ते
है देखे हमने
बनते बिगड़ते रिश्ते
छल फरेब
ईर्ष्या द्वेष से नहीं
प्यार और मुहब्बत से
हैं जुड़ते
और
संवरते रिश्ते
रेखा जोशी
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