Saturday 19 August 2017

वफ़ा की आस थी वह बेवफ़ा है

नहीं कुछ प्यार में अब तो रखा है
वफ़ा की आस थी वह बेवफ़ा है
,
दिखायें हम किसे यह ज़खम दिल के
रही अब ज़िन्दगी बन के सजा है
,
गिला शिकवा कभी कोई नहीं अब
सिला क्या प्यार का हमको मिला है
,
मिला है दर्द ही तो ज़िन्दगी में
जिगर में दर्द को हमने रखा है
,
हमें छोड़ा अकेला ज़िन्दगी ने
न जाने क्या हुई हमसे खता है
,
खिली है धूप आंगन में सभी के
लगाया रात ने डेरा यहां है
,
खता हमसे हुई वो माफ कर दे
पिया कदमों तले यह सर झुका है
,
कभी तुम फिर हमें मत याद करना
मिटाया नाम दिल पर जो लिखा है
,
निगाहों से पिलाया जाम तुमने
असर यह प्यार का कैसा हुआ है
,
मुझे तू  प्यार से इक बार तो मिल
जिगर दिल खोल कर अपना रखा है
,
नहीं चाहत हमें अब प्यार की पर
बता दें तू पिया क्या चाहता है

रेखा जोशी

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