Thursday, 28 September 2017

मुक्तक


ज़िन्दगी  देती  रहे दुख  दर्द  जब इंसान को
बेचता  यूं  ही  नहीं   है  आदमी  ईमान   को
भूख से  देखा  तड़पते आदमी को जब यहां
रख दिया इंसान ने फिर ताक पर सम्मान को

रेखा जोशी

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