Friday, 8 September 2017

अमृतपान

मंद्रांचल पर्वत पर
नाग वसूकी लिपटा कर
सुरों और असुरों के बीच
था हुआ क्षीर सागर का मंथन
छिडी  दोनों में जंग
रत्नों का भंडार मिला
आया शिव के हिस्से हलाहल
अंत में निकला अमृत रस
पाने की थी  होड़ दोनों में
बैठे असुर लगाये  घात
किया विष्णु ने असुरों से छल
तुम डाल डाल हम पात पात
रूप मोहिनी का धर
दे  दी उनको मात
कराया असुरों को रूपरस  पान
देवताओं को कराया अमृत पान

रेखा जोशी

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