मंद्रांचल पर्वत पर
नाग वसूकी लिपटा कर
सुरों और असुरों के बीच
था हुआ क्षीर सागर का मंथन
छिडी दोनों में जंग
रत्नों का भंडार मिला
आया शिव के हिस्से हलाहल
अंत में निकला अमृत रस
पाने की थी होड़ दोनों में
बैठे असुर लगाये घात
किया विष्णु ने असुरों से छल
तुम डाल डाल हम पात पात
रूप मोहिनी का धर
दे दी उनको मात
कराया असुरों को रूपरस पान
देवताओं को कराया अमृत पान
रेखा जोशी
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