Tuesday 26 September 2017

मिथ्या है यह बन्धन सारे तोड़ जाना इक दिन


बहुत सोये जीवन भर अब तो जाओ तुम जाग
जीवन अपना  ऐसे   जियो   लगे  न कोई दाग
मिथ्या है यह बन्धन सारे तोड़  जाना इक दिन
करते  रहना  सतकर्म  तुम  ह्रदय में धर विराग

रेखा जोशी 

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