बहुत सोये जीवन भर अब तो जाओ तुम जाग जीवन अपना ऐसे जियो लगे न कोई दाग मिथ्या है यह बन्धन सारे तोड़ जाना इक दिन करते रहना सतकर्म तुम ह्रदय में धर विराग
रेखा जोशी
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