हर साल
जलाते रावण हम
क्यों मनाते खुशियां
उसे जला कर
पूर्ण ज्ञानी शिव भक्त
था रावण
लेकिन
मरता नहीं वह कभी
अमृत नाभि में है उसके अभी
बार बार जी उठता वह
मानते उसे प्रतीक बुराई का
लेकिन
नहीं मिटा पाते
बुराई अपने भीतर की
जलाना है रावण
तो
आओ मिटाएं बुराई
जला कर अपने
अंतस का रावण
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment