Thursday, 10 October 2013
शक्तिपुंज [क्षणिका
शक्तिपुंज [क्षणिका ]
शक्तिपुंज
दिवाकर ने
खोले नयन
हरे हुए जंगल
आती ठंडी बयार
दी दस्तक धूप ने
खिले फूल बगिया में
उतरते रहे दिन
धूप की घाटियों में
हंसती रही
बिखेरती खुशियाँ
जीवन भर
रेखा जोशी
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