Thursday 24 October 2013

उसका नसीब यही है

मार 
महंगाई की 
झेल रहे हम 
जब प्याज़ 
अस्सी रू 
और 
चालीस की 
मेथी 
पर बेचारा 
गरीब दुखिया
क्या खाए 
कहाँ रहे 
पेट भर 
भोजन नही 
रहने को 
छत नही 
सोच रहा
सडक किनारे
लेट कर 
बेचारा  
यूँही दुःख
झेलने है
क्या उसे 
उम्र भर 
उसका नसीब
यही है 
याँ 
है फिर 
कुछ और ,,,,,,,,,,,

रेखा जोशी 

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