Sunday, 20 October 2013

प्रियतम मेरे

प्रियतम मेरे 
फिर वही शाम वही तन्हाई 
दिल में मेरे वही दर्द ले कर आई 
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प्रियतम मेरे 
ढूँढ़ रही है बेचैन निगाहें 
कहाँ खो गये दुनिया की भीड़ में
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प्रियतम मेरे
मजनू बना प्यार में तेरे 
आईना भी नही पहचानता मुझे
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प्रियतम मेरे 
दर्देदिल ने कुछ ऐसा किया 
हो गया मै तुम्हारा उम्र भर के लिए
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प्रियतम मेरे
हो न जाऊं कहीं पागल मै 
स्वाती अमृत की बूंद मुझे दे 

रेखा जोशी 

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