लाल बत्ती पर
पिघलने लगता
है यह मन
गंदे बिखरे बाल
हाथ में गंदा
फटा कपड़ा
और कार का
शीश पोंछते
दो नन्हे से हाथ
आखों में लाचारी
बेबस निगाहें
मांग रही
कुछ सिक्के
दौलत वालों से
लेकिन उन्हें
लम्बी लम्बी गाड़ी
में बैठे लोगों से
जब मिलती है
दुत्कार
रेखा जोशी
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