Wednesday, 23 October 2013

दुत्कार


किसी चौराहे की 
लाल बत्ती पर 
पिघलने लगता 
है यह मन 
गंदे बिखरे बाल 
हाथ में गंदा 
फटा कपड़ा 
और कार का 
शीश पोंछते 
दो नन्हे से हाथ 
आखों में लाचारी 
बेबस निगाहें 
मांग रही 
कुछ सिक्के 
दौलत वालों से 
लेकिन उन्हें 
लम्बी लम्बी गाड़ी 
में बैठे लोगों से 
जब मिलती है 
 दुत्कार 

रेखा जोशी 

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