दोहे [सावन पर ]
बादल गरजे गगन में ,घटाएँ है घनघोर ।
रास रचा दामिनी से ,मचा रहे है शोर ॥
आँचल लहराये हवा , ठंडी पड़े फुहार
उड़ उड़ जाये चुनरिया ,बरखा की बौछार
सावन बरसे झूम के ,भीगे तन मन आज
पेड़ों पे झूले पड़ें ,मधुर बजे है साज
भीगा सा मौसम यहाँ ,भीगी सी ये रात ।
भीगे से अरमान है ,ले आई बरसात ॥
भीगा सा मौसम यहाँ ,भीगी सी ये रात ।
भीगे से अरमान है ,ले आई बरसात ॥
रेखा जोशी
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