Sunday, 22 June 2014

एकरस हो जायें हम मिले जब ईश तुमसे

जैसे मिले जल नदिया का आपार  सागर में 
खो देता मिल कर नीर भी आकार  सागर में 
एकरस हो  जायें हम भी मिले जब ईश तुमसे 
समायें  तुझ में हम जैसे जलधार  सागर  में 

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment