ग़ज़ल
बहर --2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2
तुम मिले खुशियाँ मिली सजदा करें
इश्क तुम नहीं समझे अब क्या करें
तुम मिले खुशियाँ मिली सजदा करें
इश्क तुम नहीं समझे अब क्या करें
वह समझ नहीं पाये अब क्या करें
दी हमे थी चोट जब तुमने बहुत
वही सज़दा कर रहे अब क्या करें
ज़ख्म जो नासूर बन तड़पा रहा
ताउम्र वह नही भरे अब क्या करें
थे बनाने हम चले किस्मत सनम
है बिछुड़ गई राहें अब क्या करें
था सहारा प्यार का जोशी सदा
जब न चाहें वो हमें अब क्या करें
रेखा जोशी
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