जब से आई है बिटिया मेरे अंगना में
यूँ महकने लगी है मेरे घर की दीवारें
खिलखिलाती हुई उसकी मधुर हसीं
जान से भी प्यारी हमारी राजकुमारी
........................................................
देखती हूँ जब भी अपनी नन्ही परी को ,
तैरता है इन नयनों में मेरा वो बचपन
वो खुशियों के पल वो चहकते हुए दिन
लौट आया फिर मेरा प्यारा सा बचपन
........................................................
भरी दोपहरी में छुप छुप कर अंगना में
वो मेरा घर घर खेलना संग गुडिया के
वोह माँ के दुपट्टों से सजना संवरना
कभी साड़ी पहनना कभी चोटी बनाना
.......................................................
चहकती मटकती जब माँ के आंगन में
मुस्करा उठती थी माँ के घर की दीवारे
शाम सवेरे मै नाचती,नचाती थी सबको
थी पापा की प्यारी मै माँ की थी दुलारी
यूँ महकने लगी है मेरे घर की दीवारें
खिलखिलाती हुई उसकी मधुर हसीं
जान से भी प्यारी हमारी राजकुमारी
........................................................
देखती हूँ जब भी अपनी नन्ही परी को ,
तैरता है इन नयनों में मेरा वो बचपन
वो खुशियों के पल वो चहकते हुए दिन
लौट आया फिर मेरा प्यारा सा बचपन
........................................................
भरी दोपहरी में छुप छुप कर अंगना में
वो मेरा घर घर खेलना संग गुडिया के
वोह माँ के दुपट्टों से सजना संवरना
कभी साड़ी पहनना कभी चोटी बनाना
.......................................................
चहकती मटकती जब माँ के आंगन में
मुस्करा उठती थी माँ के घर की दीवारे
शाम सवेरे मै नाचती,नचाती थी सबको
थी पापा की प्यारी मै माँ की थी दुलारी
khoobshurat bhav
ReplyDeleteअज़ीज़ जी ,मेरी साईट में शामिल होने पर और रचना पसंद करने पर आपका हार्दिक आभार ,धन्यवाद
Delete.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार छोटी मोटी मांगे न कर , अब राज्य इसे बनवाएँगे .” आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शालिनी जी ,आभार
Deleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना!
ReplyDeleteशास्त्री जी आपका हार्दिक धन्यवाद ,ऐसे ही उत्साह बढाते रहिये ,आभार .
Delete