आज सुबह
धूप ने दस्तक दी
खिड़की पर
दूर हो गया
वहां पर अँधेरा
भरी रौशनी
अलसाया मै
रहा बिस्तर पर
चादर ओढ़
हाथ में लिए
प्रियतमा हमारी
चाय की प्याली
है भोर भयी
चहक उठे पंछी
अब तो जागो
धूप ने दस्तक दी
खिड़की पर
दूर हो गया
वहां पर अँधेरा
भरी रौशनी
अलसाया मै
रहा बिस्तर पर
चादर ओढ़
हाथ में लिए
प्रियतमा हमारी
चाय की प्याली
है भोर भयी
चहक उठे पंछी
अब तो जागो
बहुत ही सुन्दर हैं हाइकू,सादर आभार.
ReplyDeleteराजेन्द्र जी आपके कमेंट्स से सदा मुझे प्रेरणा मिलती है ,सादर आभार
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