Wednesday, 6 March 2013

है भोर भयी

आज सुबह
धूप ने दस्तक दी
खिड़की पर

दूर हो गया
वहां पर अँधेरा
भरी रौशनी

अलसाया मै
 रहा बिस्तर पर
चादर ओढ़

हाथ में लिए
प्रियतमा हमारी
चाय की प्याली

है भोर भयी
चहक उठे पंछी
अब तो जागो







2 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर हैं हाइकू,सादर आभार.

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    1. राजेन्द्र जी आपके कमेंट्स से सदा मुझे प्रेरणा मिलती है ,सादर आभार

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