भगवददर्शन [continued] 'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे '॥
श्री कृष्ण भगवान् ने जिस विराट रूप का दर्शन अर्जुन को करवाया था वही दर्शन पा कर श्रद्धावान पाठक आनंद प्राप्त करें गे [लेखक प्रो महेन्द्र जोशी ]
श्री कृष्ण नमो नम:
[श्री मद भगवदगीता अध्याय 11 का पद्यानुवाद ]
आगे ....
38तुम आदिदेव सनातन पुरुष हो ,
इस विशव के तुम ही आश्रय हो ,
सर्वज्ञ ज्ञातव्य परमधाम हो ,
सकल विश्व में आप ही आप हो
39तुम अग्नि वायु यम वरूण चन्द्र तुम ,
हो ब्रह्मा और पिता उसके तुम ,
नमन सहत्र बार करू मै तुझे ,
बार बार फिर नमस्ते नमस्ते ।
40नमस्कार हो सामने से तुझे ,
पीछे सभी और सब ओर से ,
हो अनंतवीर्य ,अति विक्रमी तुम ,
सब कुछ ने तुम हो सब कुछ हो तुम ।
41हे कृष्ण यादव हे मेरे सखे ,
यह महिमा तुम्हारी न जानते ,
कहा जो सखा मान हठ में तुम्हे ,
कहा प्रेम से या प्रमाद से ।
42असत्कृत हुए जो कभी हास में ,
आसन शय्या भोजन विहार में ,
अच्युत अकेले किसी के सामने ,
क्षमा दो अप्रमेय ,उसके लिए । कमश :-..........
आगे ....
38तुम आदिदेव सनातन पुरुष हो ,
इस विशव के तुम ही आश्रय हो ,
सर्वज्ञ ज्ञातव्य परमधाम हो ,
सकल विश्व में आप ही आप हो
39तुम अग्नि वायु यम वरूण चन्द्र तुम ,
हो ब्रह्मा और पिता उसके तुम ,
नमन सहत्र बार करू मै तुझे ,
बार बार फिर नमस्ते नमस्ते ।
40नमस्कार हो सामने से तुझे ,
पीछे सभी और सब ओर से ,
हो अनंतवीर्य ,अति विक्रमी तुम ,
सब कुछ ने तुम हो सब कुछ हो तुम ।
41हे कृष्ण यादव हे मेरे सखे ,
यह महिमा तुम्हारी न जानते ,
कहा जो सखा मान हठ में तुम्हे ,
कहा प्रेम से या प्रमाद से ।
42असत्कृत हुए जो कभी हास में ,
आसन शय्या भोजन विहार में ,
अच्युत अकेले किसी के सामने ,
क्षमा दो अप्रमेय ,उसके लिए । कमश :-..........
बहुत ही भावप्रद प्रस्तुति,आभार आदरेया.
ReplyDeletedhnyvaad apka
ReplyDelete