Wednesday, 10 July 2013

नभ पर बदरा

सावन आया
नभ पर बदरा
उमंग लाया
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चुनरी भीगी
झूले पर सखियाँ
हवाएँ ठंडी
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घटाएँ काली
पानी बरसा जाती
बरखा रानी
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मयूर नाचे
छा गई हरियाली
पपीहा बोले
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जलता दिल
घनघोर घटाएँ
पिया मिलन
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