Thursday 11 July 2013

सतरंगी आसमान [कहानी ]

सतरंगी आसमान [कहानी ]

छुक छुक छुक ,गाड़ी के प्लेटफार्म पर रुकते ही रीमा और उसके चाचाजी ने अनिल को गाड़ी के एक डिब्बे के दरवाज़े पर खड़ा पाया |अनिल को देखते ही रीमा की दिल की धड़कने तेज़ हो गई और वह उसे एक टक देखती ही रह गई |अनिल अपना हाथ हिलाते हुए गाड़ी से नीचे उतरा और जवाब में रीमा और उसके चाचा हाथ हिलाते हुए उसकी ओर बढ़ गए |''नमस्ते ''हाथ जोड़ कर रीमा ने अनिल का अभिवादन किया |उसने आगे बढ़ कर चाचा जी के पाँव छुए ,चाचा जी ने उन्हें उठा कर जोर से गले लगा लिया | धक धक धक रीमा के दिल की धडकने और तेज हो उठी वह  रुकने का नाम ही नही ले रही थी ,उसने घबरा कर इधर उधर देखा ,कही कोई उसकी तेज़ धडकने सुन तो नहीं रहा ,सब को अपने में व्यस्त पा कर रीमा ने एक लम्बी सांस ली ओर अपने चाचाजी की बातें सुनने लगी ,''अनिल बेटा आज से तुम हमारे हो गए ,यह लो शगुन ''और पांच सौ रूपये के उपर एक रूपये का सिक्का रख कर  अनिल के  हाथ में थमा दिया |अपने चाचा जी की आवाज़ सुन कर चौंक उठी रीमा ,''अरे भई हमने तो रिश्ता पक्का कर दिया ''फिर रीमा को देख कर वह बोले ,''ठीक किया न बेटा ''|रीमा की आँखे शर्म से नीचे झुक गई लेकिन वह अनिल को जी भर के देखना चाह रही थी ,अपनी पलकों में उसकी सूरत को बंद कर लेना चाहती थी ,तभी रेलगाड़ी के इंजन ने सीटी दी ,''अच्छा चाचाजी मै चलता हूँ ,''अनिल की आवाज़ सुन कर रीमा ने पलकें उपर उठाई तो देखा अनिल हाथ हिलाता हुआ गाडी में चढ़ रहा था , एक क्षण के लिए दोनों की आँखे मिली ,बस उसी एक क्षण ने रीमा की जिंदगी में हलचल मचा दी ,उफ़ क्या जादू कर दिया उन निगाहों ने ,हाथ हिलाते हुए रीमा की नजरें दूर जाती हुई रेलगाड़ी  में ही अटक कर रह गई |देखते ही देखते रेलगाडी उसकी नजरों से ओझल हो गई |रीमा के दिल की धडकने अभी भी तेज़ चल रही थी ,अनिल का मुस्कुराता हुआ चेहरा बार बार उसकी आँखों के सामने आ रहा था ,''अनिल उसका होने वाला पति ''वह कल्पना की दुनिया में उड़ने लगी ,काश वक्त वहीं पर थम जाता और वह उसे देखती ही रहती ''|'चलो बेटा ''चाचा जी की आवाज़ से वह चौंक उठी उनकी आवाज़ उसे कल्पना की दुनिया से वापिस धरती पर ले आई |रीमा एक नई ज़िन्दगी  में जल्दी ही कदम रखने जा रही थी ,उसकी हर सुबह अनिल की मनमोहक तस्वीर को देख कर होती थी और हर रात उसके सपने लेते हुए गुजर जाती थी ,हर वक्त वह अनिल के ख्यालों  में ही खोई रहती थी|कितने प्यारे दिन थे वह ,यह सोचते ही रीमा के गाल गुलाबी हो उठे और आँखों में उन बीते हुए हसीं लम्हों को याद कर ख़ुशी से वही चमक लौट आई थी |
 दिन महीने साल गुजर गए ,समय भी न जाने कितनी जल्दी बीत गया ,मानो  पंख लगा कर उड़ गया हो ,आज शादी के इतने वर्ष  गुजर जाने के बाद भी रीमा उस मधुर क्षण की मिठास को नही भुला पाई ,वह दिल को गुदगुदाने वाला क्षण ही तो उसकी जिंदगी है जिसे महसूस कर आज भी रीमा की आँखे चंचल हो उठती है और उनमें उभरती है एक ऐसी चमक ,जो उसे आज भी याद दिलाती है कि कभी अनिल उसका दीवाना था |रीमा अनिल का नाम हर जान पहचान वालों कि जुबां पर था ''वाह जोड़ी हो तो ऐसी ''अक्सर ऐसे वाक्य रीमा के कानो में इधर उधर किसी से मिलते हुए पड़ ही जाते  थे  |अनिल की दुनिया मंजिल रीमा थी और रीमा की मंजिल अनिल था ,दोनों हमेशा आसमान में ही उड़ा करते थे ,लेकिन समय की उड़ान कोई नही रोक सकता ,बीते हुए दिन आज डायरी के पन्नों कि तरह रीमा की आँखों के सामने गुजरते हुए जा रहे थे  ,टप टप टप रीमा की  ओंखों से अचानक आंसू टपक पड़े और अनिल को देखते हुए उसने पूछा था ,''क्या तुम्हे मुझ पर विश्वास नही है अनिल ''रीमा के भोले से चेहरे को अपने  दोनों हाथो में ले कर अनिल ने बड़े प्यार से कहा था ,''मुझे माफ़ कर दो रीमा ,आगे से ऐसे बात कभी नही करूँगा ,पता नही और लोगों को देख कर मेरा दिमाग क्यों खराब हो जाता है ,प्लीज़ रीमा भूल जाओ जो भी मैने तुमसे कहा है ,देखों ,अब तो मैने अपने कान भी पकड़ लिए ''रीमा के चेहरे को छोड़ अनिल ने अपने कान पकड़ लिए थे और कहा था ,''तुम बहुत भोली हो रीमा ,तुम नही  जानती इस दुनिया में क्या क्या हो रहा है ,अपने पडोस में ही उन दोनों लड़कियों को हो ही देखो ,दोनों का चरित्र ठीक नही है ,,तभी तो यह शक का कीड़ा बार बार मेरे जहन में जन्म  ले लेता है ,बस प्लीज़ अब आंसू पोंछ लो और चुप हो जाओ न ,आगे से यह गलती कभी नही होगी ''अनिल की भोली सूरत देख रीम के होंठों पर मुस्कुराहट तो आ जाती थी लेकिन उसके भीतर ही भीतर ज्वारभाटा सा उठ रहता  था ,काश वह अपना दिल चीर कर उसे दिखा पाती कि उसके दिल में अनिल के लिए बस प्यार ही प्यार था |उसने तडपते हुए रुंधे गले से अनिल से उसके प्यार का सम्मान करने के लिए कहा था |''अब छोड़ो भी रीमा ,प्लीज़ मैने माफ़ी तो मांग ली न ,तुम भी मुझे समझने की कोशिश करो रीमा ,मै भी तुम्हे बहुत चाहता हूँ लेकिन मालूम नही मुझे सदा यह डर क्यों लगा रहता है कि कोई तुम्हे मुझसे छीन न ले ,तभी तो यह शक का कीड़ा बार बार मेरे अंदर जन्म लेता रहता है ,बस अब और आंसू नही ,आगे से ऐसी बात कभी नही करूँगा ,सच्ची मान जाओ न |''अनिल की भोली सूरत देख रीमा के मुख पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई और अनिल ने उसे अपनी बाहों में भर लिया |
दिन गुजरते गए, रीमा कि जिंदगी में कभी धूप कभी छाँव ,कभी ख़ुशी तो कभी गम ,अनिल और रीमा का घर  दो नन्हे मुन्ने बच्चे सोनू और मोनू की किल्ल्कारियों से गूँज उठा ,चार साल हो गए थे उन दोनों को अपनी गृहस्थी बसाये हुए ,लेकिन रीमा के चेहरे पर अभी भी नवविवाहिता सी ताजगी थी |आज निचले फ्लैट वाली मिसेज़ कोहली मिली थी और रीमा को देखते ही बोली ,''रीमा जी आपको देख कर लगता ही नही कि आपके दो बच्चे है ,ऐसे लगता है जैसे अभी हाल ही में आपकी शादी हुई हो ,''हंस पड़ी रीमा उसकी बात सुन कर |शाम को बेसब्री से रीमा अनिल का इंतज़ार किया करती थी और दोनों मिल कर रात्री का भोजन किया करते थे ,आज भोजन करते हुए रीमा ने अनिल को मिसेज़ कोहली की बात बताई ,एकटक अनिल रीमा के खूबसूरत चेहरे को निहारने लगा था ,''सच में रीमा तुम बहुत सुंदर हो ,अनिल का जवाब सुन रीमा के गोरे गाल शर्म से लाल हो गए थे ,''हाँ अनिल मुझसे बहुत प्यार करता है ''मन ही मन सोचने लगी थी रीमा ,''उसकी सुन्दरता का राज़ शायद अनिल का प्यार ही है ''सोचते हुए मुस्कुरा उठी थी रीमा |,उसका अनिल पर अटूट स्नेह और विशवास था ,लेकिन शायद जिस पर पूर्ण विशवास हो,धोखा भी उससे ही मिल सकता है,इस बात से अनजान रीमा कभी अनिल के बारे में ऐसा सोच भी नही सकती थी कि कभी उससे इतना प्यार करने वाले इंसान का कोई और रूप भी उसके सामने आ सकता था ,वह तो सिर्फ अपनी छोटी सी दुनिया में ही खुश थी ,सोनू ,मोनू और अनिल बस यही तो थी उसकी छोटी सी दुनिया |
 सावन का महीना जहां दो प्यार करने वालों के दिलों को और करीब ले कर आता है वही महीना रीमा को जिंदगी भर का दर्द देने जा रहा था, शाम से ही मौसम ने रंग बदल लिया था ,आसमान में काले बादल छा गए थे ,तेज़ आंधी और भयंकर तूफ़ान भरी रात न जाने क्यों रह रह कर रीमा का दिल धड़का रही थी ,उसे कुछ अच्छा नही लग रहा था ,बाहर हल्की हल्की बूंदा बांदी शुरू हो चुकी थी  ,अनिल आराम से बिस्तर पर सोनू के साथ लेट कर सुस्ता रहा था और रीमा मोनू को सुलाने की कोशिश कर रही थी ,तभी ट्रिन ट्रिन ट्रिन दरवाज़े  की घंटी बज उठी ,जिसकी आवाज़ सुन कर पांच साल का छोटा सा  मोनू जोर जोर से रोने लगा था तो रीमा ने उसे कस कर अपने सीने से चिपका  लिया था ,अनिल बिस्तर छोड़ना नही चाह था था पर न चाहते हुए भी उसने  बिस्तर को छोड़ कर दरवाज़ा खोल दिया और मालूम नही वह उसके बाद बाहर क्यूँ चला गया ,रीमा फिर से मोनू को सुलाने में लग गई थी ,बड़ी मुश्किल से निंदिया रानी उस पर मेहरबान हुई ,रीमा ने घडी पर नजर डाली तो रात का साड़े तीन बज रहे थे  ,अनिल अभी भी घर वापिस नही आया था | रीमा ने सो रहे मोनू ,सोनू पर चादर ओढ़ा  दी और दरवाज़ा खोल कर अनिल को ढूँढने लगी ,बारिश की एक तेज़ बौछाड़ ने उसे पूरा भिगो दिया ,उसने चारो तरफ नजर घुमाई लेकिन अनिल का कहीं भी कोई अता पता नही था |उसने दरवाज़ा बंद कर कुंडा लगा दिया ,उसे अनिल की बहुत चिंता हो रही थी ,न जाने किसके साथ वह बाहर निकल गया ,अचानक उसे छत पर से कुछ आहट सुनाई पड़ी और वह तेज़ी से सीड़ियाँ चढ़ती हुई छत पर पहुंच गई ,तेज़ बारिश में उसे भीगते हुए दो साये दिखाई दिए ,सारी दुनिया से से बेखबर दोनों एक दूजे की बाहों में समाये हुए ,वही ठिठक कर रह गई रीमा उन्हें देखते ही  उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया उसे ऐसे लगा जैसे किसी ने उसे आसमान से उठा कर नीचे पटक दिया हो ,उसके दिल और दिमाग सब शून्य हो गए ,तभी जोर से बादलों कि भयानक गर्जन के साथ  बिजली चमकी मानो वह बिजली उसी के ऊपर आ कर गिर गई हो ,सब कुछ खत्म हो चूका था अब उसकी जिंदगी में ,अनिल की बाहों में उनकी ही पड़ोसन मधु थी |काश यह सब देखने से पहले वह मर क्यों नही गई ,इतना बड़ा विश्वासघात ,सारी जिंदगी उस पर शक करता रहा अनिल और खुद किसी और के साथ ...,यह सब सोच कर रीमा का सर घूमने लगा |एक बार तो उसके मन में आया कि अभी के अभी वह छत से छलांग लगा कर नीचे कूद जाए ,लेकिन तभी उसकी आँखों के सामने उसके नन्हे बच्चो के मासूम चेहरे  घूम गए  ,उसके बाद सोनू और मोनू का क्या होगा ?उसका दिल आज फिर तेज़ी से धडकने लगा ,सांस उखड़ रही थी,बड़ी मुश्किल से वह दीवार का सहारा लेते हुए नीचे उतर आई और आ कर धम से बिस्तर पर गिर पड़ी और उसके भीतर सुलगता ज्वालामुखी अविरल अश्रुधारा बन कर बहने लगा ,रोते रोते उसकी हिचकियाँ बंध गई ,पीछे आहट सुनते ही रीम ने घूम कर देखा तो वहां अनिल खड़ा था ,उसे वहां खड़े देख रीमा को यूं लगा  जैसे कोई अनजान सा व्यक्ति उसके सामने खड़ा है ,''क्यों आये हो यहाँ ?''अनान्यास ही उसके मुख से यह शब्द निकल पड़े |''रीमा मुझसे बहुत भारी  गलती हो गई ,मुझे माफ़ कर दो ,''अनिल के बोलने पर बिफर उठी रीमा ,''नही मै तुम्हे कभी माफ़ नही कर सकती ,आज से  तुम्हारा और मेरा रिश्ता हमेशा हमेशा के लिए खत्म ''उसके आंसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे ,''तुम झूठे हो जब तुम मधु से प्यार करते थे तो क्यों की मुझ से शादी ,''मै तुम्हे छोड़ कर सदा सदा के लिए जा रही हूँ ,अपने बच्चों को मै खुद पाल लूंगी |''यह कह कर रीमा ने अपना सामान बांधना शुरू कर दिया |अनिल लगातार उससे माफ़ी मांगता जा रहा था ,लेकिन रीमा ने आंसू बहाते हुए वहां से जाने की पूरी तैयारी कर ली थी |
आँखों ही आँखों में पूरी रात कट गई ,बारिश कब की बंद हो चुकी थी तूफ़ान भी थम चूका था ,आसमान हलकी हलकी लालिमा लिए नव भोर का स्वागत करने को तैयार था,लेकिन रीमा भीगी आँखों से अपनी गृहस्थी को विदाई देने जा रही थी ,अपना सामन उठा कर वह बाहर सड़क पर खड़ी ऑटो का इंतज़ार कर रही थी ,तभी अनिल ने पीछे से आ कर उसका हाथ पकड़ लिया ,''नही रीमा  तुम मुझे छोड़ कर ऐसे नही जा सकती ,मै तुम्हे कहीं नहीं जाने दूंगा ,तुम जो चाहो मुझे सजा देदो लेकिन यह घर  सिर्फ तुम्हारा है तुम इसे छोड़ कर मत जाओ  ,मै मानता हूँ मुझ  से गलती नही गुनाह हुआ है ,मत जाओ .,मत जाओ |''रीमा ने उसकी आँखों में देखा ,उसे उनमे आत्मग्लानी  के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे ,इससे पहले  वह कुछ कहती अनिल ने उसका सामान उठा लिया ,रीमा ने आकाश की  तरफ देखा,काले घने बादल छट चुके थे  ,सुनहरी धूप  सतरंगी आसमान पर अपनी छटा बिखेर चुकी थी और उसके घर के सामने आसमान पर सात रंगों से बंधा इन्द्रधनुष उसे नवजीवन का सन्देश दे रहा था , रीमा अपलक उस इन्द्रधनुष को निहारती रही |

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