मन में है विश्वास
चला जा रहा हूँ इस निर्जन पथ पर
कभी तो मिलेगी चलते हुए मंजिल
कहीं तो जाएगी ये राह जिंदगी की
यही सोच उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
........................................................
अनगिनत कांटे मिले राहों में मुझे
भयानक नजारों ने भी डराया मुझे
पर था मन में अटूट विश्वास कहीं
यही सोच उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
चला जा रहा हूँ इस निर्जन पथ पर
कभी तो मिलेगी चलते हुए मंजिल
कहीं तो जाएगी ये राह जिंदगी की
यही सोच उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
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अनगिनत कांटे मिले राहों में मुझे
भयानक नजारों ने भी डराया मुझे
पर था मन में अटूट विश्वास कहीं
यही सोच उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
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