कहते है जिंदगी जिंदादिली का नाम है मुर्दा दिल क्या ख़ाक जीते है ,जी हाँ जिंदा दिल इंसान तो भरपूर जिंदगी का मज़ा लेते हुए उसे जीते है लेकिन वह लोग जिन्हें अपने सामने केवल मृत्यु ही नजर आती है वह कैसे अपने जीवन का एक एक पल सामने खड़ी मौत को देख कर जीतें है |हर क्षण करीब आ रही मौत की उस घड़ी का वह अहसास किसी को भी भयभीत कर सकता है | मेरी मुलाकात कई ऐसे बुजुर्गों से हुई है जो अपनी जिंदगी असुरक्षा से घिरी हुई , सिर्फ मौत की इंतजार में गुज़ार रहें है,कुछ लोग तो ऐसे है जिनका हर पल हर क्षण मौत से साक्षात्कार होता है |ऐसे असंख्य लोग है जो किसी न किसी गंभीर या लाइलाज रोग से ग्रस्त हो कर पल पल रेंग रही ज़िन्दगी के दिन काटने पर मजबूर है |
ऐसे ही कैंसर से पीड़ित एक सज्जन से मेरी हाल ही में मुलाकात हुई जिनका कुछ महीने पहले राजीव गाँधी अस्पताल में इलाज चल रहा था |उनकी तबियत कुछ ज्यादा ही खराब होने पर डाक्टर ने उन्हें आई सी यू में दाखिल कर दिया था ,वहां उनके साथ तीन और मरीज़ भी आई सी यू में थे ,उसी रात की बात है कि वहां उन सज्जन के पास वाले बिस्तर पर एक कैंसर से पीड़ित मरीज़ की मौत हो गई जो उनके भीतर तक एक ठंडी सी मृत्यु की सिहरन पैदा कर गई ,अभी वह उस मौत की सोच से उभरे भी न थे कि अगली रात एक दूसरे बिस्तर वाले सज्जन पुरुष भी परलोक सिधार गए ,और तीसरी रात तीसरा मरीज भी भगवान को प्यारा हो गया |एक के बाद एक लगातार तीन दिनों में उनके सामने उसी कमरे में हुयी तीन तीन मौतों ने उन्हें अंदर से झकझोर कर रख दिया और वह चौथी रात मृत्यु से भयभीत अकेले बिस्तर पर करवटें बदलते हुए पूरी रात जागते रहे ,हर क्षण यही सोचते हुए कि शायद वह रात उनकी जिंदगी की आखिरी रात न बन जाए |मौत को इतने करीब से देखने के बाद वह हर पल असुरक्षित रहने लगे है और मौत के भय ने उन्हें रात दिन चिंतित कर रखा है|
हम सब जानते है ,मृत्यु एक शाश्वत सत्य है और हम सब धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ रहें है| किसी की ओर मृत्यु तेज़ी से बढ़ रही है तो कोई मृत्यु की ओर बढ़ रहा है ,एक न एक दिन हम सबको इस दुनिया से जाना ही है फिर भी जिस किसी का भी मृत्यु से साक्षात्कार होता है वह इस शाश्वत सत्य से भयभीत हो उठता है वह मरना नही चाहता परन्तु उसके चाहने से तो कुछ हो नही सकता फिर वह क्यों भयभीत हो जाता है ?शायद उनके द्वारा जाने अनजाने किये गये पाप कर्म ही उसके डर का कारण होते है यां सदा के लिए अपनों से बिछड़ने का गम उन्हें डराता है यां फिर अज्ञात से वह भयभीत है |उनके डर का कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन एक न एक दिन इस दुनिया को छोड़ कर सब ने जाना ही है ,फिर विस्मय इस बात पर होता है कि क्यों इंसान इतने उलटे सीधे धंधे कर पैसे के पीछे सारी जिंदगी भागता रहता है,मोह माया की दल दल में फंस कर रह जाताहै , जब कि सब कुछ तो यही रह जाता है |जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू है ,आज जीवन है तो कल मृत्यु ,क्यों न हम ईश्वर से प्रार्थना करें जब भी हमारी जिंदगी की अंतिम घड़ी आये तो वह सबसे खूबसूरत और सुंदर अनुभूति लिए हुए हो |
रेखा जोशी
रेखा जोशी
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